भूमिका: ये कविता हमारे प्रिये क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी के सम्मान में उनको समर्पित है।
1
पहने वो जर्सी, जिसका नम्बर है सात
थामे जब बल्ला, तो कर दे चौको और छकको की बरसात
किक्रेट की पिच पे, न हुई उसकी कभी बिसात
कहके अलविदा किक्रेट को, अब ले रहा वह सन्यास।
2
राँची से निकल, जो पूरी दुनिया में छाया
अपने बल्ले का जादू, सब पर दिखाया
दीवानगी कभी अपने सपनों की, कम न कर पाया
नौकरी भी कर के अपने सपनों, से दूर न रह पाया।
3
जूनून इस कदर अपनी आँखों, में बसाया
लगा दी जान अपनी मेहनत में, जो किसी से न छिप पाया
हर तरफ बस अपने बल्ले, को लहराया
तब किस्मत भी उसके आगे, घुटने टिकाया।
4
बना कप्तान, रचा ऐसा माया
टी 20 और वर्ल्ड कप, दोनों ले आया
हेलिकॉप्टर और पैडलसवीप साॅट, उसने ऐसा ढाया
कोई भी गेंदबाज, उसके सामने ठहर न पाया।
5
लेफ्टिनेंट कर्नल बन, आर्मी में भी अपना किरदार निभाया
पद्म भूषण, पद्मश्री और राजीव खेल रत्न पुरस्कार, भी पाया
घरेलू मैचों में भी, अपना करतब दिखाया
सी. एस. के. का भी, वो बाप कहलाया।।।
6
आक्रमक दाएँ हाथ, और बैकफुट का, खेल है उसकी काया
मैदान में हमेशा जो कूल, और शान्त ही रह पाया
क्रिकेट के सितारों में जो, सबसे ज्यादा जगमागाया
ये तो है ‘महेन्द्र सिंह धोनी’ जो “माही” भी कहलाया।।।।
एस्थर नाग
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Nice x 100
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Ek no
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Wow 👌😇❤️
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WELL DONE…MSD07
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Always a legend…. M.S.D❤️
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Amazing 😍👌
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Hum kya bole shabd hi nani hai bolne ke liye BAHUT BAHUT. ……………ACCH
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Wow….that’s so incredible
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